एक आखिरी दुआ, एक आखरी सलाम है,
मश्कूर हूँ, कुछ तो आपने करने दिया काम है,
खुद का खुद पे ही यकीन कम हो गया था,
गुमनामी के अंधेरों में कहीं गुम हो गया था,
आपके निज़ाम में कुछ तो हुआ मेरा नाम है,
एक आखिरी दुआ, एक आखरी सलाम है,
मिला एतबार और हौंसला मैं चलता रहा,
पता न रहा, दिन कब आए, कब ढलता रहा,
होता है, ओहदों से आगे जब रहे एहतराम है,
एक आखिरी दुआ, एक आखरी सलाम है,
रस्ता मिल गया है तो मुकाम भी मिल जाएगा,
गुज़र रहा बुरा तो क्या नवरोज़ जल्द आएगा,
पर हवाओं ने लिख भेजा ख़िज़ाँ का पैगाम है,
एक आखिरी दुआ, एक आखरी सलाम है!
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