इन्हीं से मेरी जीत होगी

ज़िंदगी की जंग पे निकला हूं

तेरे प्यार की ढाल ले कर,

बाहर आज भी सर्दी बहुत है,

तेरी चाह की शाल ले कर,


तेरी आँखों की खुशबू,

तेरी बातों का लम्स,

तेरी यादों के गुलाब,

तेरे एहसासों की रोशनी के साथ,


और जब भी कभी 

सुख जाता हूँ मुरझा जाता हूँ,

भीग जाता हूं तेरी हसी की बारिशों में,


फिर लहलहाने लगता हूं

फसलों की तरह

दो पल तुम्हारे पास बैठने के बाद,


बस इसी तरह साथ देते रहना,

दूर हो, के पास हो,

गुनगुनाते रहना गीत ज़िंदगी के,

उम्मीद के, आरज़ू के,


यही मेरे रस्ता आसान करते हैं,

इन्हीं से मेरी जीत होगी।

No comments:

Post a Comment