तुम तो बुहत खुश रहते होगे

तुम तो बुहत खुश रहते होगे,
जब कभी जी चाहता होगा,
खुद को तुम देख लेते होगे,
तुम तो बुहत खुश रहते होगे....

आँखों में  लेकर चलते हो मैखाना,
मन हुआ जब भी पीने का,
बैठ आईने के सामने पी लेते होगे,
तुम तो बुहत खुश रहते होगे....

घटा सी काली ये जुल्फें तुम्हारी,
जरा खुला इनको बिखरा के तुम,
जब चाहे मौसम सावन कर देते होगे,
तुम तो बुहत खुश रहते होगे....
    
ये ज़मीन, चाँद सितारे बनाने वाला,
भी है तुम्हारा तो चाहने वाला,
तुम तो जो चाहे तकदीर लिखवा लेते होगे,
तुम तो बुहत खुश रहते होगे....

हमारी तो उससे अनबन होती रहती,
तुम्हे जो इतना हसीं बनाया,
जहां सारा तुम्हारे क़दमों में बिछाया,
तुम तो उसे बुहत अच्छा कहते होगे,
तुम तो बुहत खुश रहते होगे....

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