एक बार मैंने पूछा था उससे,
क्या तुम मेरे साथ मेरे घर पे रहोगी,
उसने मना कर दिया था,
ये कहके मुझे आसमानो में उड़ना है,
और अब मैं घंटो बैठा रहता हूँ,
उसके इंतज़ार में लेके रोटी और बीज,
अपनी मर्ज़ी से जब जी चाहे आती है,
कभी कभी तो नहीं भी आती,
मैं भी अब यही सोचता हूँ,
अच्छा किया जो जबरन पकड़ के
पिंजरे में नहीं डाला,
मोहब्बत में जबरदस्ती नहीं ठीक!
क्या तुम मेरे साथ मेरे घर पे रहोगी,
उसने मना कर दिया था,
ये कहके मुझे आसमानो में उड़ना है,
और अब मैं घंटो बैठा रहता हूँ,
उसके इंतज़ार में लेके रोटी और बीज,
अपनी मर्ज़ी से जब जी चाहे आती है,
कभी कभी तो नहीं भी आती,
मैं भी अब यही सोचता हूँ,
अच्छा किया जो जबरन पकड़ के
पिंजरे में नहीं डाला,
मोहब्बत में जबरदस्ती नहीं ठीक!
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