कल मैंने छत्त पे बैठे
कौऐ से पूछ ही लिया,
ये सच्च है न तुम्हे भी
किसी के आने का,
कुछ पता नहीं रहता,
तुम झूठ बोलते हो,
तुम झूठे दिलासे देते हो,
तुमने अपने फायदे के लिए
चला रक्खीं हैं कहानियाँ,
उसने मेरी बात का,
कुछ जवाब न दिया,
चुगता रहा दाना,
जब तक था बचा हुआ,
और जाते जाते कह गया,
गलत तो है जो करता हूँ,
पर पापी पेट के लिए,
सब कुछ करना पड़ता!
कौऐ से पूछ ही लिया,
ये सच्च है न तुम्हे भी
किसी के आने का,
कुछ पता नहीं रहता,
तुम झूठ बोलते हो,
तुम झूठे दिलासे देते हो,
तुमने अपने फायदे के लिए
चला रक्खीं हैं कहानियाँ,
उसने मेरी बात का,
कुछ जवाब न दिया,
चुगता रहा दाना,
जब तक था बचा हुआ,
और जाते जाते कह गया,
गलत तो है जो करता हूँ,
पर पापी पेट के लिए,
सब कुछ करना पड़ता!
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