कल अपने ही तोते की,
उसने गर्दन मरोड़ दी,
हाथ से जिसे खिलाता था,
वो सूरजमुखी के बीज,
चूरी और लाल मिर्ची,
कहने लगा, ये झूठ
बोलता रहा मुझसे,
किसी को कोई गिला नहीं,
घर पे सब है ठीक,
मेरे ऐतबार का इसने
कत्ल है किया, कभी
मुझे सच्च न बताया,
गाता रहा खुशामद के गीत,
मेरी दुनिया उजड़ गई,
इसने परवाह ना की,
नामुराद था कम्भख्त,
नमक की कीमत तक अदा न की।
उसने गर्दन मरोड़ दी,
हाथ से जिसे खिलाता था,
वो सूरजमुखी के बीज,
चूरी और लाल मिर्ची,
कहने लगा, ये झूठ
बोलता रहा मुझसे,
किसी को कोई गिला नहीं,
घर पे सब है ठीक,
मेरे ऐतबार का इसने
कत्ल है किया, कभी
मुझे सच्च न बताया,
गाता रहा खुशामद के गीत,
मेरी दुनिया उजड़ गई,
इसने परवाह ना की,
नामुराद था कम्भख्त,
नमक की कीमत तक अदा न की।
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