सरकारी अस्पताल, एमरजेंसी वार्ड, एक वाकया

जल्दी उठाओ इस लाश को,
जल्दी बिस्तर खाली करो,
अरे कह रहा हूँ वक़्त न लगाओ,
इसे जल्दी यहां से हटाओ,

कराह उठा वो, यूं बात न करो,
कोई मरा है जस्बात को समझो,
क्या तुम इतने पत्थर हो गए हो?
दर्द समझना भी भूल गए हो?

खींच के उसको वो वार्ड से बाहर,
हाल में ले गया, और कहने लगा,
देख रहे हो कितनी भीड़ है यहाँ,
इन में से किसी के वास वक़्त नहीं है,

मझे फिकर है कोई और लाश न हो,
वक़्त के हाथों एक और मात न हो,
पत्थर नहीं, दर्द भी समझता हूँ,
पर मेरा फ़र्ज़ है जितने हो सके बचाऊँ,

इसी लिए कहता हूँ, जल्दी बिस्तर खाली करो...



No comments:

Post a Comment