तू अपनी राह में खुद दीवार है,
समझ जाएगा जिस दिन बात ये,
सब रास्ते तेरे लिए खुल जाएँगे,
बेड़ियाँ तेरे पैरों में नहीं सोच में हैं,
देख पाएगा किसी दिन जो ठीक से,
बंधन तेरे सारेे कट जाएँगे,
आँखें खोल हाथ भी हटा चेहरे से,
उजाले कब के हो चुके हैं,
तुझे भी फिर नज़र आएँगे,
किसी के पास इतना वक़्त कहा,
कोई किसी के लिए कांटे बिछाए,
ये वहमों गुमां निकाल देगा दिल से, तो
हर तरफ तुझे फूल ही नज़र आएँगे,
बस एक नज़रिया बदल ले नज़र का,
थोड़ी हिम्मत थोड़ी कोशिश करके,
सहरा सब के सब गुलशन हो जाएँगे!
समझ जाएगा जिस दिन बात ये,
सब रास्ते तेरे लिए खुल जाएँगे,
बेड़ियाँ तेरे पैरों में नहीं सोच में हैं,
देख पाएगा किसी दिन जो ठीक से,
बंधन तेरे सारेे कट जाएँगे,
आँखें खोल हाथ भी हटा चेहरे से,
उजाले कब के हो चुके हैं,
तुझे भी फिर नज़र आएँगे,
किसी के पास इतना वक़्त कहा,
कोई किसी के लिए कांटे बिछाए,
ये वहमों गुमां निकाल देगा दिल से, तो
हर तरफ तुझे फूल ही नज़र आएँगे,
बस एक नज़रिया बदल ले नज़र का,
थोड़ी हिम्मत थोड़ी कोशिश करके,
सहरा सब के सब गुलशन हो जाएँगे!
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