रोशनी सब तेरी है,
मेरी तो सिर्फ आंखें हैं,
मैं तो बस बयान करता हूँ,
सब है तो तेरी ही बाते हैं!
तेरी हवाओं से ही
मेरी हर उड़ान है,
जिस्म तो यूं ही
फड़फड़ाता पाँखें है!
रंग, मिठास, महक,
सब तेरेे ही हैं दिए हुए,
गूंथ के फ़ूलों में,
मैंने तो सिर्फ बांटे हैं!
ये तेरी चाह, तेरी
इनायत है जो कुछ भी है,
वरना इतने हुनर
मुझे कहाँ से आते हैं!
मेरी तो सिर्फ आंखें हैं,
मैं तो बस बयान करता हूँ,
सब है तो तेरी ही बाते हैं!
तेरी हवाओं से ही
मेरी हर उड़ान है,
जिस्म तो यूं ही
फड़फड़ाता पाँखें है!
रंग, मिठास, महक,
सब तेरेे ही हैं दिए हुए,
गूंथ के फ़ूलों में,
मैंने तो सिर्फ बांटे हैं!
ये तेरी चाह, तेरी
इनायत है जो कुछ भी है,
वरना इतने हुनर
मुझे कहाँ से आते हैं!
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