तू खुश हो तेरे रास्ते में इतने पत्थर हैं

तू खुश हो तेरे रास्ते में
इतने पत्थर हैं, के बुहत हैं
तुझे फौलाद बनाने के लिए,

वरना लोग पैसा दे के जाते हैं
कसरत खानों में,
जिस्म को लोहा बनाने के लिए!

खुदा की इस को भी
तू एक इनायत ही समझ,
तुझे कुछ न दिया,

तुझे आज़ाद रखा
उसने, जो जी चाहे,
उस पे बाज़ी लगाने के लिए!

अपनी ही आंखों के
आंसू पी के तूने कई रातें
अपने पेट की आग बुझाई है,

तू खुश किस्मत समझ
अपने आप को, तू तयार है
किसी भी सफर पे जाने के लिए!

और ज़माने की ठोकरें,
रास्ते की मुश्किलें,
ये सब तेरी कमाई है,

लोग मारे मारे फिरते हैं
रहबरों की तलाश में,
रास्ता, रोशनी पाने के लिए!

अच्छे वक़्तों में रखेंगे तुझे
सादा, बुरे वक़्तों में करेंगे
ये वक़्त तेरी रहनुमाई,

तू जानता होगा उठा है तो
गिर सकता है, गिरा है तो
क्या चहिये उठ जाने के लिए!

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