तुम्हे मुझे और पहले मिलना चाहिए था

तुम्हे मुझे और पहले मिलना चाहिए था,
मुझे तुम जैसा ही एक साथी चाहिए था,

जो मेरी पगली सी बातों पे हस सके,
जो मेरी सुलझी सी बातें समझ सके,

जिसको मेरी थोड़ी सी चाह हो,
जो बिछा के पलकें तकता मेरी राह हो,

जिसके चेहरे का नूर मेरी राह रोशन कर दे
जिसके लफ्ज़ मुझे हर पल होंसला हिम्मत दें,

जो मेरे साथ अपने सारे गम बांट ले,
जो मेरी सारी खुशियाँ अपने दामन में समेट ले,

जो माँगे कभी मुझसे खुद कुछ नहीँ,
पर जिसपे दिलो जान वारने का दिल करे,

जिससे चाहिए मुझे हो कभी कुछ नहीं,
बस के ये हस्त हुआ मेरे साथ चलता रहे,

भीनी भीनी सी खुशबू सा जो एहसास दे,
मीठी मीठी सी बोली से जो आवाज़ दे,

जो अपनी हवाओँ से मुझे परवाज़ दे,
जो रोक के मुझे थोड़ा सुकूँ ठहराव दे,

जो दूर हो के भी पास सा लगे,
जो रोज मेरी रूह से लगे आ गले,

जिसके लिए मैं हूँ पहला और आखिरी,
जिसको पा मुझे भी लगे सब तू ही,

मुझे तुम जैसा ही एक साथी चाहिए था,
तुम्हे मुझे और पहले मिलना चाहिए था!

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