जब हम बाजारों में साथ साथ चलेंगे,

जब हम बाजारों में साथ साथ चलेंगे,
मुझे लगता है ये चरचे अखबारों में छपेंगे,

एक आदमी कहेगा
मैंने इंसान और खुदा को साथ जाते देखा,
उन्हें बात करते, हस्ते मुस्कुराते देखा,

दूसरा आदमी कहेगा
मैने देखा एक परी को आदमज़ाद के साथ,
सच है आती हैं ज़मीन पे वो हर चाँदनी रात,

तीसरा आदमी कहेगा
मैने देखा ज़मीन और आसमान को मिलते हुए,
सब हयात को दो लोगो में सिमटते हुए,

चौथा आदमी कहेगा
मैंने देखा चाँद को पेड़ की शाख पे खिलते हुए,
मैंने देखा सितारों को फूल से मिलते हुए,

पाँचवां आदमी केहगा
मानने लगा हूँ मैं अब किस्मत तकदीर को,
देख उस जागती हुई रांझा और हीर को,

और जाने क्या क्या किस्से बनेंगे,
और जाने क्या क्या लोग बातें करेंगें,
जब हम बाजारों में साथ साथ चलेंगे!

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