आओ के आ के सामने बैठ जाओ,

आओ के आ के सामने बैठ जा
मेरे हमदम मेरी आँखों में बस जाओ,

अभी लगता है एक ख्याल हो जैसे,
ख्याल से अब हकीकत में ढल जाओ,

खुदा सा मान अब और इबादत नहीं होती,
बन के आदम अब तुम सामने आओ,

ये माना के परी-पैकर हो, सितारों से हो,
पर अब लगाई है तो ज़मीन पे आओ,

अब क्यों मिलते हो इतने हिजाबों में,
अब तो चेहरा ए नूरानी से परदा हटाओ,

एक झलक चाहिए के इश्क़ गहरा हो,
इतनी सी इल्तज़ा है गौर फर्माओ,

प्यासा है दुनिया-ए-सहरा में एक नज़र का,
दे के दीदार उसकी प्यास तुम बुजाओ,

हुई इश्क़ ए मजाजी बुहत अब,
अब हमें इश्क़ के हक़ीक़ी पे ले जाओ,

आओ के आ के सामने बैठ जाओ,
मेरे हमदम मेरी आँखों में बस जाओ....

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