लफ़्ज़ों से राब्ता

घर से बाहर भी कुछ अच्छा नहीं लगता था,

घर पे भी माहौल ठीक नहीं  रहता था,

कमरे में अपने आप को सब आवाज़ों से 

बचने के लिए बंद कर लेता था,


और अचानक एक दिन धुल सनी

किताबों में लफ़्ज़ों से मेरा राब्ता हुआ,

तब से हैं हम दोनों एक दूजे के साथी! 

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