हो दोनों जानिब तो कुछ बात बनती है

हो दोनों जानिब तो कुछ बात बनती है,

नहीं तो चाहत की बस ख़ाक बनती है,


वही चाँद सूरज वही ज़मीनों आसमान,

देखते हैं किस तरफ़ दिन-रात बनती है,


ना चलो अगर हर बार ख़ुशी ही चाहिए ,

खेलोगे तो हार जीत दोनों बात बनती है,


फ़क़त हुनर से मुमकिन बस थोड़ा कुछ,

साथ जिगर रखो तब बड़ी बात बनती है,


अच्छा बुरा वक़्त दोनों में ही सबक  कोई,

देखना आ जाए मुकम्मल हयात बनती है!

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