क्यों दुनिया के बातों में आते हो, तेरी मोहब्बत है मेरा सरमाया,
चाह के भी भुला नहीं सकता, खुद को मिटा के तूने मुझे है बनाया,
ज़माने से मात खा के, वक़्त के हाथों ज़ख्म खा लोटा हूँ जब भी,
तूने ही मेरे ज़खमों पे मरहम लगाया, रात रात भर मुझे सहलाया,
तेरे खाब भी थे, मेरे खाब भी थे, शादाब हो सकते थे शायद दोनों,
अपने आप को मेरे पीछे रख के, तूने आगे मुझे हर दम है बढ़ाया,
सच कहता हूँ तेरी चाहत मेरी बंदगी, तेरी फ़िक्र है मेरी इबादत,
क्यों बे-वक़्त हो जाती हैं मेरी नमाज़ें, लो आज तुमको ये बताया!
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