में आज कल

ऊँचे ऊँचे मुकामों पर रहते हैं लोग जो,
होती है मोहब्बत उन से सब को ही,
मुझे तो है बरसों से तुझसे मोहब्बत,
तुझे भी हो जाए मुझ से मोहब्बत,
में आज कल वो मुकाम दूंदता हूँ !

फन अपने के माहिर होते हैं लोग जो,
रहती है शारदा उन से सब को ही,
में तो तुझको कहता हूँ खुदा पहले ही दिन से,
तुझे भी हो जाए थोडी शरदा मुझसे ,
में आज कल वोह फन की दोलत ढूंढता हूँ !

खूब शानो शोकत से जीते हैं लोग जो,
चाहत रहती है सबको ही उनसे मिलने की,
में तो हर वक़्त ही तुझसे मिलने की चाहत रखता हूँ,
तुझे भी हो अरमान मुझसे मिलने का,
में आज कल वोह मान -सम्मान ढूंढता हूँ !

कहते हैं खूब हो इंसान में खूबी कोई ,
तो कमियाँ इंसान की फिर कोई देखता नहीं,
तुझ में तो हैं खूबिया हजारों ,लाखों एक नहीं,
मेरी भी छुपा देगी कमियाँ एक खूबी कोई,
में आज कल अपने आप में वो खूबी ढूँढता हूँ!

No comments:

Post a Comment