जीवन मदिरा अनमोल है कितनी, लेकिन थामे हुए इसको उलटा प्याला!

जीवन मदिरा अनमोल है कितनी,
लेकिन थामे हुए इसको उलटा प्याला!

बूँद बूँद कर सब पीते हैं और
ख़तम न हो कभी चाहे हर यही पीनेवाला,
बीते क्षण लोट आयें हर कोई चाहे,
पर भर नहीं पाया कोई उलटा प्याला,
जीवन मदिरा अनमोल है कितनी ,
लेकिन थामे हुए इसको उलटा प्याला!

किसी को लगती मदिरा कड़वी , किसी को मीठी,
पर फिर भी सब चाहें , सलामत रहे प्याला,
कड़वी कहने वाले कहते ,एक दिन मदिरा बदलेगी,
और फिर सवाद देगा येही प्याला,
जीवन मदिरा अनमोल है कितनी,
लेकिन थामे हुए इसको उलटा प्याला!

सीधा करने की चाह में इसको,
रोज हो उठता है कोई मतवाला,
चाह इसी में करता काम उल्टे सीधे,
पर उल्टे का उल्टा ही रहे प्याला,
जीवन मदिरा अनमोल है कितनी,
लेकिन थामे हुए इसको उलटा प्याला!

रोये हैं सब जब ख़तम हो जाए मदिरा ,
और चीखें चिलायें जब कभी टूट जाए प्याला,
पर एक दिन खाली हो जाएगा अपना प्याला,
न जाने फिर भी क्यों ना समझे पीनेवाला,
जीवन मदिरा अनमोल है कितनी,
लेकिन थामे हुए इसको उलटा प्याला!

समझ न पाया था में जो अब तक ,
समझा तब जब देखा एक टूटा प्याला,
जीवन मदिरा अनमोल है कितनी ,
लेकिन थामे हुए इसको उलटा प्याला!

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