नशे में --- एक गीत

नशे में गुम थे जो ,न होश था,
न कोई सवाल था,
अब जो हैं होश में ,सवाल हैं,
पर कोई जवाब ना!

नशे में थे तो ,तुम थे,
पर मैं ना था,
अब जो होश में हूँ ,में हूँ ,
पर तुम न हो!

मस्त मस्त , जूम रहे थे सब,
न किसी का कोई जवाब था,
मुझे भी अब कह रहे हैं सब,
के में भी लाजवाब था!

नशे में गुम थे जो ,न होश था,
न कोई सवाल था,
अब जो हैं होश में ,सवाल हैं,
पर कोई जवाब ना!

दो थे ,या चार थे ,कितने वो पल थे ,
नशे में हुआ हिसाब ना ,
होश में हैं जो ,कब थे नशे में ,
अब यह याद ना,
भीगी भीगी शाम थी ,क्या वोह एहसास था,
लाजवाब था,
याद न अब जो की वो कैसा एहसास था,
लगता है जैसे कोई ख्वाब था,

नशे में गुम थे जो ,न होश था,
न कोई सवाल था,
अब जो हैं होश में ,सवाल हैं ,
पर कोई जावाब ना!

कह दी नशे में सबसे मैंने ,
दिल में जो हर बात थी,
अब होश में हूँ , चुप हूँ ,
कहने को कोई बात नहीं,
नशे में थे तो भुला दिया सब,
गम की भी न कुछ औकात थी,
अब होश में चुब्ने लगा है सब,
रुला गयी है एक हलकी सी कोई याद भी,

नशे में जो बीती है
जब से वो एक शाम ही ,
लगे हैं दिन जिंदगी के ,
तब से बाकी सब बेकार ही!

नशे में गुम थे जो ,न होश था,
न कोई सवाल था ,
अब जो हैं होश में ,सवाल हैं,
पर कोई जवाब ना!

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